घुसपैठ के लिए सीमा पार के पांच आतंकी समूह हुए एकजुट, ISI ने बॉर्डर के करीब भेजे भाड़े के स्नाइपर

 


घुसपैठ के लिए सीमा पार के पांच आतंकी समूह हुए एकजुट, ISI ने बॉर्डर के करीब भेजे भाड़े के स्नाइपर



बालाकोट समेत पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों में जमा करीब पांच सौ आतंकी घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं। पाकिस्तानी आईएसआई किसी भी तरह इन आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में धकेलना चाहती है। इसके लिए नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान लगातार युद्ध विराम नीति का उल्लंघन कर रहा है। खुफिया एजेंसियों को मिली ताजा जानकारी के मुताबिक आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तानी आईएसआई ने अब पांच आतंकी समूहों को एकजुट कर लिया है। इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, तहरीक-ए-तालिबान, सिपाह-ए-सहाबा और हिजबुल मुजाहिदीन शामिल हैं।



 

इन समूहों से जुड़े आतंकियों की मदद करने के लिए पाकिस्तानी आईएसआई ने बड़े पैमाने पर बॉर्डर के करीब भाड़े के स्नाइपर लगा दिए हैं। एजेंसियों का कहना है कि इनकी सही संख्या का अंदाजा लगाना मुश्किल है, लेकिन ये हर बॉर्डर आउट पोस्ट के सामने वाले हिस्से में देखे जा सकते हैं।

पांच सौ आतंकी घुसपैठ के लिए तैयार


बता दें कि बालाकोट में हुई एयर स्टाइक के बाद अब दोबारा से वहां आतंकियों का जमावड़ा शुरु हो गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोभाल पहले ही कह चुके हैं कि वहां पर पांच सौ आतंकी घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं। इन आतंकियों को भारतीय सीमा में धकेलने के लिए पाकिस्तान की आईएसआई प्रयास कर रही है। ऐसा नहीं है कि अभी तक घुसपैठ का कोई प्रयास नहीं हुआ है। आईएसआई ने कई बार आतंकियों को एलओसी पर भेजा है, लेकिन वे भारतीय सेना की चौकसी के चलते मारे गए या उन्हें वापस भागना पड़ा।

आईएसआई से मिलती है स्वीकृति


जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, तहरीक-ए-तालिबान, सिपाह-ए-सहाबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूह आईएसआई के निर्देशन में काम कर रहे हैं। इन्हें जो भी टास्क मिलता है, वह आईएसआई की तरफ से ही दिया जाता है। अगर जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और उपप्रमुख खुद से कोई टास्क लेना चाहते हैं, तो पहले उसके बारे में आईएसआई की स्वीकृति ली जाती है।

घुसपैठियों की मदद के लिए स्नाइपर्स का सहारा 


पाकिस्तानी आईएसआई ने अब घुसपैठियों की मदद के लिए स्नाईपर आतंकियों का सहारा लेना शुरु कर दिया है। ये स्नाईपर भी आईएसआई के गुर्गे होते हैं, जिन्हें ट्रेनिंग से लेकर रुपया पैसा और टास्क, सब आईएसआई से ही मिलता है। स्नाइपर भेजने के पीछे पाकिस्तान का मकसद है कि सीमा पर तैनात भारतीय जवानों को उकसाया जाए। जब दोनों तरफ से फायरिंग होगी, तो उस बीच आईएसआई उन इलाकों से आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसाने का प्रयास करेगी, जहां पर फेंसिंग नहीं है। अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा पर ये स्नाइपर आतंकी देखे गए हैं। ये आतंकी 600-700 गज तक मार करने वाली अत्याधुनिक स्नाइपर गन से लैस होते हैं। इन्हें जो टारगेट मिलता है, उसे पूरा करने के लिए वे कई दिनों तक भूखे-प्यास रह सकते हैं।

100 गज की दूरी से निशाना


स्नाईपर आतंकी अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा से करीब सौ गज की दूरी पर बैठ कर भारतीय जवानों को निशाना बनाते हैं। चूंकि स्नाइपर में हैवी टेलीस्कॉप लगा होता है, इसलिए वे अंधेरे और कोहरे में भी अपना टारगेट नहीं छोड़ते। खासतौर पर सीमा सुरक्षा बल के जवान जब चौकसी टावर पर चढ़ते-उतरते हैं, बंकर से बाहर निकलना या किसी निर्माण कार्य के चलते इधर-उधर होते हैं, तो ये स्नाईपर गोली चला देते हैं। 

जवानों को कई तरह की हिदायतें


ऐसे हमलों से बचने के लिए जवानों को कई तरह की हिदायतें दे दी गई हैं। कैमरों की मदद से स्नाईपर की निगरानी हो रही है। जवानों को सुरक्षा के सभी उपकरण मुहैया कराए गए हैं। चूंकि वे हमारे जवानों को फायरिंग के लिए उकसाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भारतीय सुरक्षा बल पहले फायर नहीं करते। हालांकि जरुरत पड़ते पर वे रक्षात्मक कार्रवाई करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।

कमांडो से भी कठोर प्रशिक्षण


आईएसआई इन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिलाती है। खास बात है कि इन्हें जिन हथियारों का प्रशिक्षण मिलता है, वे किसी भी तरह सेना से कम नहीं होते। पाक सेना, आईएसआई और रेंजर्स इन्हें ट्रेनिंग देते हैं। स्नाईपर्स को सेना के कमांडो से भी कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है। ये अपने टारगेट को पूरा करने के लिए एक ही स्थान पर कई माह तक छिपे रहते हैं। भले ही खराब मौसम हो, टारगेट पूरा किए बिना ये अपनी जगह से नहीं हिलते।

टारगेट हासिल करने के बाद इन्हें नायक की तरह सम्मान और अच्छी खासी रकम मिलती है। अगर इनमें से कोई स्नाईपर मारा जाता है, तो उसके परिवार को सात लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।

इन जगहों पर एक्टिव हैं आतंकी


एजेंसियों के मुताबिक आईएसआई ने इन आतंकी समूहों को अलग-अलग जगह से घुसपैठ कराने की योजना बनाई है। माछिल जैसे सेक्टर को हाई अलर्ट पर रखा गया है। वहां बड़े पैमाने पर स्नाईपर आतंकी मौजूद हैं। केरन सेक्टर में भी आतंकवादियों की जबदस्त हलचल देखने को मिल रही है। पिछले दिनों जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के करीब आधा दर्जन समूह चोरीकोट लॉन्च पैड पर देखे गए थे। पुंछ और राजौरी के आसपास आतंकियों की हलचल महसूस की जा रही है। भिंभर गली सेक्टर के निकट भी आतंकियों की गतिविधियां नोट की गई हैं। इनके अलावा एलओसी के उस पार लंजोट और दादोट में आतंकियों के छह दस्तों की हरकत सामने आ चुकी है।

एलओसी पर 42 आतंकी शिविर


रिपोर्ट के अनुसार, माछिल सेक्टर के सामने पाक सीमा में तेजियां के आसपास लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी जमा हो चुके हैं। कृष्णा घाटी के दूसरी तरफ बटाली मोहाली और केजी सेक्टर के सामने नट्टार में आतंकी घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं। पीओके के सलहुन और मातरियां में जैश और लश्कर के आतंकवादी मौजूद हैं। सूचना है कि वहां पर करीब सौ आतंकी जमा हैं। लेफ्टिनेंट जनरल जेपी नेहरा का कहना है कि सीमा पार नियंत्रण रेखा के निकट आतंकियों के 42 छोटे-छोटे शिविर हैं। यह जानकारी खुफिया एजेंसी ने सेना को दी है। देश के भीतरी क्षेत्रों में गतिविधियां चला रहे आतंकियों का पता लगाया जा रहा है, उनका जल्द खात्मा कर दिया जाएगा।